खरबूजा उत्पादन की उन्नत तकनीक
खरबूजा ककड़ी वर्गीय कुल का सदस्य है ! भारत में इसकी खेती लगभग सभी प्रान्तों में की जाती है ! देश के शुष्क एवम अर्ध्द शुष्क क्षेत्रो में खरबूजे उत्पादन की उन्नत तकनीकियों को अपना कर अच्छा धन लाभ कमाया जा सकता है ! खरबूजे के उत्पादन के लिए निम्न बिन्दुओ को ध्यान में रखना चाहिए !
जलवायु -
खरबूजा गर्म और शुष्क जलवायु का पौधा है ! बुवाई एवम प्रारम्भिक बढ़वार की अवस्था में २०-२४ डिग्री सेलसियस तथा पदम् वृद्धि एवम उपज के लिए ३०-३५ डिग्री सेलसियस तापमान उत्तम रहता है ! मरू प्रदेश में जहा तापमान ४२-४५ डिग्री सेल्सियस तक जाता ह वह भी उत्तम गुणवता युक्त खरबूजे की पैदावार संभव है !
भूमि -
इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है परन्तु सर्वोत्तम फसल के लिए बलुई दोमट एवम मरुस्थलीय खेतो की रेतीली मिटटी उपयुक्त रहती है !
उन्नत किस्मे-
आप निम्न कंपनियों या अन्य में से कोई भी अछि पैदवार वाली वैरायटी लगा सकते है -
१. नोन यू कंपनी
२. नामधारी
३. यूनाइटेड जेंटिक्स
४. सेमिनिस
खेत की तैयारी -
साधारणतया खरबूजे के ग्रीष्म कालीन व्यवष्तिठा फसल उत्पादन के लिए खेत को दिसम्बर-जनवरी माह में गहरी जुताई करके खली छोड़ देना चाहिए, जिससे सर्द ऋतू में होने वाली मावठ का पानी खेत में संग्रहित हो सके ! फरवरी के महीने में खेत की २ बार हैरो से जुताई कर के पाता लगा देना चाहिए ! अंतिम जुताई के समय २००-२५० क्विंटल प्रति हैक्टर (१०००० स्क्वायरमीटर) गोबर की सड़ी हुई खाद पुरे खेत में अछि तरह मिलाये ! फसल को दीमक व अन्य भूमिगत कीड़ो से बचने के लिए मेथाइल पैराथीओन (२% - २० मिली. प्रति १ लीटर) या एण्डोसल्फान (४% - ४० मिली. प्रति १ लीटर) दावा का प्रति हैक्टर २५ किलो पाउडर प्रति हैक्टर अंतिम जुताई के समय, पता लगाने से पहले खेत में भुरक देना चाहिए !
खाद एवम उर्वक -
समेकित खाद व उर्वक प्रबंधन द्वारा मृदा की ओवर शक्ति बनाये रखने के लिए प्रति वर्ष २००-२५० क्विंटल प्रति हैक्टर (१०००० स्क्वायरमीटर) गोबर की सड़ी हुई खाद या ५-६ ट्रेक्टर ट्रॉली भेड़ बकरियों की मींगनी की खाद प्रति हैक्टर अवश्य दे ! इसके अतिरिक्त व्यवष्तिठा ढंग से खेती के लिए ८० कग नत्रजन व ४०-५० किलो फॉस्फोरस व पोटाश उर्वरक के रूप में प्रति हैक्टर दर से देना चाहिए !
बीज की मात्रा -
अच्छा हाइब्रिड बीज - १ किलो प्रति हैक्टर
एक स्थान पे २ -३ बीज की बुवाई करनी चाहिए ! बुवाई के १५-२० दिनों बाद ख़राब पोधो को उखाड़ देना चाहिए !
बुवाई की विधिया -
खरबूजे की खेती मुख्यतया क्यारी या नाली विधि से की जाती है ! वैज्ञानिक दांग से खरबूजे की खेती के लिए नाली विधि को सर्वोत्तम मन गया है ! इसके लिए तैयार खेत में २.० मीटर दुरी पर १/२ मीटर चौड़ी नालिया बनानी चाहिए ! इन नालियो में बीज १.५ फट दुरी पर बीजो की बुवाई करनी चाहिए !
सिचाई -
प्रारंभिक अवस्था एवम फल जमाव होने तक ६-७ दिनों के अंतराल पर सिचाई करना आवश्यक है!
निराई - गुड़ाई -
बीज अंकुरण के बाद से ही लगातार हलकी हलकी निराई - गुड़ाई करते रहना चाहिए ! फसल की प्रारंभिक अवस्था में ३-४ निराई - गुड़ाई अवश्य करे ! खेत को खरपतवारो से मुक्त रखे !
फार्मर्स स्टॉप
जलवायु -
खरबूजा गर्म और शुष्क जलवायु का पौधा है ! बुवाई एवम प्रारम्भिक बढ़वार की अवस्था में २०-२४ डिग्री सेलसियस तथा पदम् वृद्धि एवम उपज के लिए ३०-३५ डिग्री सेलसियस तापमान उत्तम रहता है ! मरू प्रदेश में जहा तापमान ४२-४५ डिग्री सेल्सियस तक जाता ह वह भी उत्तम गुणवता युक्त खरबूजे की पैदावार संभव है !
भूमि -
इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है परन्तु सर्वोत्तम फसल के लिए बलुई दोमट एवम मरुस्थलीय खेतो की रेतीली मिटटी उपयुक्त रहती है !
उन्नत किस्मे-
आप निम्न कंपनियों या अन्य में से कोई भी अछि पैदवार वाली वैरायटी लगा सकते है -
१. नोन यू कंपनी
२. नामधारी
३. यूनाइटेड जेंटिक्स
४. सेमिनिस
खेत की तैयारी -
साधारणतया खरबूजे के ग्रीष्म कालीन व्यवष्तिठा फसल उत्पादन के लिए खेत को दिसम्बर-जनवरी माह में गहरी जुताई करके खली छोड़ देना चाहिए, जिससे सर्द ऋतू में होने वाली मावठ का पानी खेत में संग्रहित हो सके ! फरवरी के महीने में खेत की २ बार हैरो से जुताई कर के पाता लगा देना चाहिए ! अंतिम जुताई के समय २००-२५० क्विंटल प्रति हैक्टर (१०००० स्क्वायरमीटर) गोबर की सड़ी हुई खाद पुरे खेत में अछि तरह मिलाये ! फसल को दीमक व अन्य भूमिगत कीड़ो से बचने के लिए मेथाइल पैराथीओन (२% - २० मिली. प्रति १ लीटर) या एण्डोसल्फान (४% - ४० मिली. प्रति १ लीटर) दावा का प्रति हैक्टर २५ किलो पाउडर प्रति हैक्टर अंतिम जुताई के समय, पता लगाने से पहले खेत में भुरक देना चाहिए !
खाद एवम उर्वक -
समेकित खाद व उर्वक प्रबंधन द्वारा मृदा की ओवर शक्ति बनाये रखने के लिए प्रति वर्ष २००-२५० क्विंटल प्रति हैक्टर (१०००० स्क्वायरमीटर) गोबर की सड़ी हुई खाद या ५-६ ट्रेक्टर ट्रॉली भेड़ बकरियों की मींगनी की खाद प्रति हैक्टर अवश्य दे ! इसके अतिरिक्त व्यवष्तिठा ढंग से खेती के लिए ८० कग नत्रजन व ४०-५० किलो फॉस्फोरस व पोटाश उर्वरक के रूप में प्रति हैक्टर दर से देना चाहिए !
बीज की मात्रा -
अच्छा हाइब्रिड बीज - १ किलो प्रति हैक्टर
एक स्थान पे २ -३ बीज की बुवाई करनी चाहिए ! बुवाई के १५-२० दिनों बाद ख़राब पोधो को उखाड़ देना चाहिए !
बुवाई की विधिया -
खरबूजे की खेती मुख्यतया क्यारी या नाली विधि से की जाती है ! वैज्ञानिक दांग से खरबूजे की खेती के लिए नाली विधि को सर्वोत्तम मन गया है ! इसके लिए तैयार खेत में २.० मीटर दुरी पर १/२ मीटर चौड़ी नालिया बनानी चाहिए ! इन नालियो में बीज १.५ फट दुरी पर बीजो की बुवाई करनी चाहिए !
सिचाई -
प्रारंभिक अवस्था एवम फल जमाव होने तक ६-७ दिनों के अंतराल पर सिचाई करना आवश्यक है!
निराई - गुड़ाई -
बीज अंकुरण के बाद से ही लगातार हलकी हलकी निराई - गुड़ाई करते रहना चाहिए ! फसल की प्रारंभिक अवस्था में ३-४ निराई - गुड़ाई अवश्य करे ! खेत को खरपतवारो से मुक्त रखे !
फार्मर्स स्टॉप
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